मनमोहन सिंह बायोग्राफी – जीवन परिचय, शिक्षा, राजनीतिक सफर और उपलब्धियां
मनमोहन सिंह भारत के उन गिने-चुने राजनेताओं में से हैं जिन्होंने अपनी विद्वता, सादगी और ईमानदारी के बल पर देश की राजनीति में एक अलग पहचान बनाई। भारत के 13वें प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह को एक कुशल अर्थशास्त्री और दूरदर्शी नेता माना जाता है। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री रहे जो सिख समुदाय से थे और जो पूर्ण कार्यकाल के साथ दो बार प्रधानमंत्री पद पर रहे। उनके कार्यकाल में भारत ने आर्थिक रूप से कई अहम बदलाव देखे और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान मजबूत की। इस लेख में हम डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन, शिक्षा, राजनीतिक सफर और उनकी प्रमुख उपलब्धियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
डॉ. मनमोहन सिंह का प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गाह नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और माता का नाम अमृत कौर था। बचपन में ही उनकी माता का देहांत हो गया, जिससे उनका पालन-पोषण उनके दादा-दादी और फिर सौतेली मां ने किया। विभाजन के समय उनका परिवार भारत के अमृतसर में आकर बस गया।
उनका परिवार सामान्य था, लेकिन शिक्षा को लेकर उनमें विशेष लगन थी। उन्होंने बहुत ही कठिन परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त की और अपनी मेहनत के बल पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों तक पहुंचे। डॉ. मनमोहन सिंह का विवाह गुरशरण कौर से हुआ, जो एक शिक्षित और सुसंस्कृत महिला हैं। उनकी तीन बेटियाँ हैं, जिनमें एक लेखिका और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह की शिक्षा-
डॉ. मनमोहन सिंह अपनी शिक्षा को ले बहुत ही गंभीर थे और शुरू से ही पढ़ाई में तेज थे।
- स्कूली शिक्षा: विभाजन से पहले तक उन्होंने पाकिस्तान के चकवाल जिले में स्कूली शिक्षा पूरी की।
- स्नातक: उन्होंने 1952 में पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़) से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- परास्नातक: 1954 में अर्थशास्त्र में ही परास्नातक की डिग्री पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहां वे कक्षा में अव्वल रहे।
- विदेश में शिक्षा:
- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (UK): 1957 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ‘नफील्ड कॉलेज’ से डॉ. जॉन रॉबिन्सन के मार्गदर्शन में D.Phil. (डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की।
- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (UK): उन्होंने 1955 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से भी अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी, जहां उनके गुरु जोन रॉबिन्सन और निकोलस काल्डोर जैसे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे।
डॉ. मनमोहन सिंह का करियर
डॉ. मनमोहन सिंह ने अपना करियर एक शैक्षणिक और अर्थशास्त्री के रूप में शुरू किया।
1) शिक्षण और शैक्षणिक कार्य
वे पंजाब विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, और अन्य संस्थानों में अध्यापन कार्य कर चुके हैं। उन्हें अर्थशास्त्र का गहन ज्ञान था और उन्होंने कई अकादमिक लेख और शोध पत्र भी प्रकाशित किए।
2) अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में कार्य
वे यूनाइटेड नेशन्स ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD) और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) जैसे संस्थानों में भी सेवाएं दे चुके हैं।
3) भारत सरकार में आर्थिक सलाहकार
1971 में वे वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने। 1972 में वे प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए।
डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर
मनमोहन सिंह राजनीति में सक्रिय रूप से 1991 में आए जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें देश का वित्त मंत्री बनाया। यह भारत के आर्थिक इतिहास का एक निर्णायक मोड़ था।
1) वित्त मंत्री के रूप में उपलब्धियाँ (1991–1996)
1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट में था, तब उन्होंने उदारीकरण (Liberalization), निजीकरण (Privatization) और वैश्वीकरण (Globalization) की नीति लागू की। विदेशी निवेश के दरवाजे खोले गए और लाइसेंस राज खत्म किया गया। इन सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया।
2) राज्यसभा सदस्य और अन्य पद
वे असम से राज्यसभा सदस्य रहे, और लगातार कई बार राज्यसभा में नामित किए गए। योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, मुख्य आर्थिक सलाहकार, और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के चेयरमैन जैसे अहम पदों पर भी कार्य कर चुके हैं।
3) प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल (2004–2014)
2004 के आम चुनाव में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए (UPA) गठबंधन को बहुमत मिला, तो सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद का त्याग करते हुए मनमोहन सिंह को यह जिम्मेदारी दी।
4) प्रथम कार्यकाल (2004–2009)
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) की शुरुआत हुई। RTI (सूचना का अधिकार) अधिनियम 2005 लागू हुआ जिससे पारदर्शिता आई। भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (2008) जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए गए। शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे में सुधारों पर ध्यान दिया गया।
5) द्वितीय कार्यकाल (2009–2014)
अपने दूसरे कार्यकाल में डॉ महंमोहन सिंह जी ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) जैसे कार्यक्रम शुरू किए। वैश्विक मंदी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने गति बनाए रखी। हालांकि इस दौरान भ्रष्टाचार के कुछ मामलों (2G, CWG आदि) ने उनकी छवि को प्रभावित किया, लेकिन उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी पर कभी कोई सवाल नहीं उठा।
डॉ. मनमोहन सिंह जी की प्रमुख उपलब्धियाँ
| क्षेत्र | उपलब्धियाँ |
| अर्थव्यवस्था | 1991 में भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकालना, LPG सुधार लागू करना |
| राजनीति | 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री पद पर ईमानदारी से कार्य करना |
| सामाजिक योजनाएँ | NREGA, RTI, शिक्षा अधिकार कानून, खाद्य सुरक्षा अधिनियम |
| विदेश नीति | भारत-अमेरिका परमाणु समझौता, वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका सुदृढ़ करना |
| शिक्षा और स्वास्थ्य | सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का विस्तार |
सम्मान और पुरस्कार
डॉ. मनमोहन सिंह को उनके कार्यों के लिए कई सम्मान और उपाधियाँ प्राप्त हुईं:
- पद्म विभूषण (1987)
- अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार के लिए कई बार नामांकन (हालांकि नहीं मिला)
- ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और अन्य अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से मानद डिग्रियाँ
- ‘The Financial Times’ और ‘Time’ जैसे वैश्विक पत्रों ने उन्हें विश्व के प्रभावशाली नेताओं में शामिल किया।
निष्कर्ष
डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक अनमोल रत्न हैं, जिनका जीवन हमें बताता है कि सादगी, निष्ठा और विद्वता से भी नेतृत्व किया जा सकता है। एक अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने भारत की आर्थिक नींव मजबूत की, और एक राजनेता के रूप में उन्होंने नीति-निर्माण में अपनी गहरी समझ दिखाई।
उनका कार्यकाल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है कि नेतृत्व केवल भाषणों से नहीं, बल्कि ठोस कामों और ईमानदारी से बनता है।
मनमोहन सिंह के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q-1) मनमोहन सिंह कब भारत के प्रधानमंत्री बने थे?
A- डॉ. मनमोहन सिंह 22 मई 2004 को भारत के प्रधानमंत्री बने और 2014 तक इस पद पर रहे।
Q-2) डॉ. मनमोहन सिंह की प्रमुख आर्थिक उपलब्धियाँ क्या रहीं?
A- उन्होंने 1991 में भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की, जिससे भारत वैश्विक बाजार से जुड़ सका।
Q-3) क्या डॉ. मनमोहन सिंह चुनाव लड़े थे?
A- वे ज्यादातर राज्यसभा के माध्यम से संसद में पहुंचे, उन्होंने सीधे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा।
Q-4) डॉ. मनमोहन सिंह को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?
A- उन्हें पद्म विभूषण, कई अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से मानद डिग्रियाँ और अनेक वैश्विक मंचों से सम्मान प्राप्त हुआ है।
Q-5) मनमोहन सिंह को “शांत प्रधानमंत्री” क्यों कहा जाता है?
A- वे मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर बहुत कम बोलते थे, इसलिए उन्हें यह उपनाम मिला, हालांकि उनके निर्णय और काम बेहद प्रभावशाली रहे।
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